संदेश

किसान आज दोपहर 2 बजे सरकार के साथ मीटिंग करेंगे, कहा- इसे आखिरी बातचीत मान रहे

चित्र
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 35वां दिन है। किसानों की आज दोपहर 2 बजे सरकार से बातचीत होगी। हालांकि, किसान कानून वापसी और MSP पर अलग कानून लाने की मांग पर अड़े हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता हरमीत सिंह कादिया ने कहा कि सभी किसान संगतें बुधवार को होने वाली बैठक को अंतिम बातचीत के तौर पर मान कर चल रहे हैं। 21 दिन बाद बातचीत किसानों और सरकार के बीच पहले हुई 6 दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी। आखिरी मीटिंग 8 दिसंबर को हुई थी। उसके बाद बातचीत का दौर थम गया था और किसानों ने विरोध तेज कर दिया था। ऐसे में सरकार ने 3 बार चिट्ठियां लिखकर किसानों को मीटिंग के लिए मनाने की कोशिश की। आखिर किसान बैठक के लिए तो राजी हो गए, लेकिन कहा कि चर्चा उनके एजेंडे पर ही होनी चाहिए। किसान और सरकार में बात क्यों नहीं बन रही? कहां फंस रहा पेंच? पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें शाह ने 3 मंत्रियों के साथ 2 घंटे बैठक कर स्ट्रैटजी बनाई संयुक्त किसान मोर्चा ने बातचीत के लिए राजी होने का ईमेल मंगलवार को सरकार को भेजा। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और उद्य

2020 ने दुनिया को सिखाया कि मेडिकल क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट उपयोगी और जरूरी है

चित्र
मानव इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि पूरा विश्व एक साथ संक्रामक बीमारी की चपेट में आ गया और ज्यादातर देशों को एक-दूसरे से अपना फिजिकल संपर्क तक तोड़ना पड़ा। लोगों को घरों में बंद रहना पड़ा, पूरा विश्व करीब-करीब लॉकडाउन में रहा। अमीर हो या गरीब देश कोई भी इस तरह की संक्रामक बीमारी से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं था। बीमारी फैलती जा रही थी। जांच से लेकर इलाज के लिए मरीज और दुनियाभर के देश जद्दोजहद करते दिखे। वर्ष 2020 ने दुनिया के देशों को सिखाया कि मेडिकल क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट कितना उपयोगी और जरूरी है। कोरोना के बाद इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाया गया और बहुत जल्द इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं। महज एक वर्ष से भी कम समय में इतने सारे वैक्सीन प्लेयर एक साथ आ चुके हैं। इस महामारी ने बताया कि निजी और सरकारी क्षेत्र यदि साथ मिलकर काम करें तो न सिर्फ रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिहाज से बल्कि इलाज की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण होगा। यदि दुनिया के विकसित देश भी इस ओर ध्यान देते, तो जो स्थिति 2020 में हुई, वैसी नहीं हाेती। विकसित देशों से विकासशील या गरीब देश भी सीख पाते ल

कोरोना महामारी ने करीब 160 करोड़ छात्रों की पढ़ाई पर असर डाला

चित्र
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में जीवन को इतने बड़े पैमाने पर बाधित किया, जैसा 2020 से पहले कभी नहीं हुआ था। इसका विपरीत प्रभाव यूं तो हर सेक्टर पर पड़ा है, मगर कुछ सेक्टर्स ने यह साबित किया है कि पारंपरिक तरीकों के बाधित होने पर वहां नए प्रयोग करने और उन्हें काफी बड़े पैमाने पर लागू करने के अवसर और क्षमता है। शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें तो कोरोना महामारी ने करीब 160 करोड़ छात्रों की पढ़ाई पर असर डाला। उन्हें बिल्कुल नई व्यवस्था आजमाने को मजबूर किया। इस नई हाइब्रिड व्यवस्था में फोकस टीचर से आमने-सामने के संवाद के बजाय इनोवेशन पर शिफ्ट हो गया। हालांकि इस वैश्विक संकट ने यह स्पष्ट कर दिया कि हमारे सीखने और सिखाने के तरीकों को प्रभावित करने वाला कारक, तकनीक है। कई लोगों का मानना है कि महामारी का दौर बीतने के बाद ऑनलाइन एजुकेशन भी बीते जमाने की बात हो जाएगी और दुनिया फिर क्लास रूम्स में लौटेगी। हालांकि, ऑनलाइन माध्यम ने शिक्षा से जुड़ी दो पुरानी समस्याओं को हल कर साबित किया है कि यह न सिर्फ लंबी चलने वाली है, बल्कि भविष्य के लिए तैयार है। ये दो समस्याएं थीं

2020 ने सिखाया कि हवा-पानी को साफ रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं?

चित्र
2020 के कोरोना काल ने पर्यावरण के संबंध में हमें स्पष्ट रूप से सिखाया कि हवा-पानी को साफ रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं? लॉकडाउन के दौरान हवा इतनी साफ हो गई थी कि देश के तमाम हिस्सों से हिमालय पर्वतश्रृंखला के दर्शन होने लगे। शहरों में भी आसमान इतना साफ हो गया कि तारे नजर आने लगे। दिल्ली में यमुना के किनारे पर पानी का रंग इतना साफ हो गया कि मछलियां नजर आने लगीं, गंगा में कई स्थानों पर डॉल्फिन दिखने की खबरें आईं। विज्ञान की भाषा में बोलें तो देश के तमाम महानगरों का एक्यूूआई 100 के नीचे आ गया, नदियों के पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन बढ़ गई, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) कम हो गई। पहाड़ी इलाकों में गतिविधियां थमी रहीं, हलचल कम रही सो लैंडस्लाइड कम हुए, डंपिंग न के बराबर रही, नतीजा यह हुआ कि ग्लेशियर से पिघला जल नदियोंं से होता हुए मैदानों तक शुद्ध रूप में ही पहुंचा। दरअसल, नदियों के प्रदूषण को कम करने के लिए सालों से करोड़ों रुपए की योजनाएं लागू करने के बाद भी जल की गुणवत्ता में इतना सुधार नहीं आ पाया था जो लॉकडाउन के शुरुआती तीन हफ्तों में ही दिखा। सीधा सबक है कि यदि नदियों

नड्‌डा पर हमले के समय तैनात IPS अफसर को ममता ने प्रमोशन दिया, केंद्र सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था

चित्र
पश्चिम बंगाल में BJP और सत्ताधारी TMC के बीच दाव-पेंच जारी हैं। यहां 10 दिसंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के काफिले पर हमला हुआ था। इस दौरान सुरक्षा का जिम्मा जिन IPS अधिकारियों पर था, उन्हें केंद्र ने प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली बुलाने का आदेश जारी कर दिया। लेकिन ममता ने न सिर्फ इस आदेश को अनसुना किया बल्कि मंगलवार उन अधिकारियों में एक- राजीव मिश्रा को प्रमोशन भी दे दिया। मिश्रा दक्षिण बंगाल पुलिस जोन में महानिरीक्षक थे। उन्हें यहीं अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) बना दिया गया है। डायमंड हार्बर जिला पुलिस अधीक्षक भोलानाथ पांडेय को SP होमगार्ड के पद पर ट्रांसफर किया गया। वहीं एक अन्य IPS डीआईजी प्रवीण कुमार त्रिपाठी अब भी वहीं तैनात हैं। राजीव मिश्रा के साथ-साथ पांडेय और त्रिपाठी भी नड्‌डा की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात थे। केंद्र ने प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था नड्‌डा के काफिले पर पथराव के बाद इन तीनों अधिकारियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 16 दिसंबर को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था। इनमें से मिश्रा को ITBP, पांडे काे ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPR &

राजस्थान के 5 शहरों में तापमान माइनस में; हिमाचल में भारी बर्फबारी से 330 सड़कें बंद; यहां 7 शहरों में शीत का प्रकोप

चित्र
जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के कई इलाके घने काेहरे में हैं। इन राज्यों में अगले 5 दिन घना से बहुत घना कोहरा पड़ेगा। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले दाे दिनों यानी आज 30 और 31 दिसंबर को उत्तर-पश्चिमी भारत में न्यूनतम तापमान 3-5 डिग्री सेल्सियस गिर सकता है। ठंड का आलम ये है कि राजस्थान के 3 शहरों में तापमान माइनस में चला गया है। इसके अलावा 12 शहर ऐसे हैं जहां 5 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान है। हिमाचल प्रदेश में भारी बर्फबारी ने हालात खराब कर दिया है। सड़कों पर बर्फ की मोटी लेयर जम चुकी है। इसके चलते 330 सड़कें अभी भी बंद पड़ी हैं। राजस्थान में ठंड का कहर लगातार दाे दिन से चल रही सर्द हवाओं से राजस्थान में सर्दी के तेवर और तीखे हो गए हैं। मंगलवार को पारे ने सर्दी का ऐसा पंच लगाया कि 5 शहरों में तापमान माइनस में पहुंच गया। माउंट आबू में सीजन की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई और पारा माइनस 4.0 डिग्री पहुंच गया। इसके अलावा फतेहपुर में माइनस 3.2, जाेबनेर में माइनस 1.8, सीकर में माइनस 0.5 और चूरू में माइनस 0.4 डिग्री पारा रहा। यह इस सीजन मे

छह माह की मेहनत, तब एक एकड़ में 12 क्विंटल धान, बचते हैं सिर्फ 9500 रुपए

चित्र
धान के कटोरे के रूप में मशहूर छत्तीसगढ़ में किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल मूल्य मिल रहा है, फिर भी लागत के मुकाबले एक एकड़ में सिर्फ 9500 रुपए ही मुनाफा मिल रहा है। इसमें 6 महीने तक किसान और उसके परिवार की मेहनत का मूल्य नहीं जुड़ा है। यदि प्रतिदिन 100 रुपए मजदूरी जोड़ें तो किसानों को कोई लाभ नहीं मिलता। सिर्फ धान ही नहीं, बल्कि अन्य फसलों में भी श्रम और लागत के मुकाबले मुनाफा बेहद कम है। सोयाबीन की लागत कम होने के कारण रकबा घटकर आधे से भी कम हो गया है। क्या है जमीनी हकीकत ? छत्तीसगढ़ में एक एकड़ में औसत 12 क्विंटल धान का उत्पादन होता है। केंद्र से समर्थन मूल्य का 1815 रुपए मिलता है और राज्य सरकार राजीव किसान न्याय योजना के तहत 685 रुपए धान का अलग से दे रही है। इस तरह किसान को 2500 रुपए प्रति क्विंटल धान के मिलते हैं। इस हिसाब से 12 क्विंटल के 30 हजार रुपए मिलते हैं। इसमें किसान की कुल लागत 20500 रुपए लगती है। इस तरह प्रति एकड़ 9500 रुपए ही बचता है। हालांकि किसानों की मेहनत और जमीन का किराया या लीज रेंट को इसमें नहीं जोड़ा गया है। यदि 100 रुपए रोजी के हिसाब से 6 महीने का मूल्य जोड़